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Showing posts from March, 2025
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  . धर्म बड़ा या इंसानियत ? सूरज की पहली किरणें छोटे से गाँव काशीपुर की गलियों को रोशन कर रही थीं। वहीं , गाँव के किनारे बने मंदिर में पुजारी रामदास जी और मस्जिद में मौलवी साहब अपने-अपने पूजा-पाठ और इबादत में लगे हुए थे। दोनों का आपस में कोई खास संबंध नहीं था , लेकिन एक-दूसरे के प्रति सम्मान ज़रूर था। एक दिन , गाँव में अचानक खबर फैली कि पास के जंगल में एक बाघ ने हमला कर दिया है और कुछ लोग घायल हो गए हैं। गाँव में खौफ का माहौल था। उसी दिन शाम को एक औरत मंदिर के बाहर बेहोश पड़ी मिली। उसकी हालत बहुत खराब थी और उसे तुरंत मदद की ज़रूरत थी। पुजारी रामदास जी ने उसे देखा और मदद के लिए आगे बढ़े। उन्होंने न सोचा कि वह किस धर्म की है , न ये कि लोग क्या कहेंगे। बस उसे अंदर ले जाकर पानी पिलाया और उसकी देखभाल की। थोड़ी देर में मौलवी साहब भी वहाँ पहुँचे। उन्होंने भी उसकी हालत देखी और बिना कुछ सोचे-समझे उसकी मदद में लग गए। दोनों ने मिलकर औरत की देखभाल की और कुछ ही घंटों में वह औरत होश में आ गई। वह रोते हुए बोली , " आप लोगों ने मेरी जान बचा ली। मैं तो मुसलमान हूँ , फिर भी आपने मेरी मदद की।...
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  " सुबह 5 बजे का रहस्य" स ै म कभी भी सुबह का इंसान नहीं था। रात में लेट-नाइट शोज़ देखना और फोन पर स्क्रॉल करना उसकी आदत बन चुकी थी। ज़िंदगी जैसे रुक गई थी — आराम में उसकी महत्वाकांक्षा खो चुकी थी। एक रात , उसने एक पॉडकास्ट सुना जिसने उसे अंदर तक हिला दिया। स्पीकर के शब्द थे , “ दुनिया इरादों को नहीं , कर्मों को इनाम देती है।” ये शब्द उसके दिमाग में गूंजते रहे। उसे समझ में आ गया कि अगर उसे कुछ बदलना है , तो उसे कुछ करना होगा। उसने एक साहसी फैसला लिया — अलार्म को सुबह 5 बजे के लिए सेट कर दिया। पहली सुबह बहुत कठिन थी। शरीर और दिमाग दोनों ही और नींद की मांग कर रहे थे। लेकिन उसने खुद को उठाया। गुस्से और थकान से भरा हुआ , उसने अपने जूते पहने और दौड़ने के लिए निकल पड़ा। सड़कें खाली थीं , हवा ठंडी थी और पूरी दुनिया जैसे अभी सो रही थी। पहले कुछ मिनट भारी थे। उसके कदम लड़खड़ा रहे थे। लेकिन कुछ ही देर में , जैसे ही उसने दौड़ना शुरू किया , उसका मन साफ़ होने लगा। विचार बहने लगे। नई ऊर्जा महसूस होने लगी। वो अगले दिन भी उठा। फिर अगले दिन। शुरुआत में ये संघर्ष जैसा था , लेकिन धीर...