"सुबह 5 बजे का रहस्य"

कभी भी सुबह का इंसान नहीं था। रात में लेट-नाइट शोज़ देखना और फोन पर स्क्रॉल करना उसकी आदत बन चुकी थी। ज़िंदगी जैसे रुक गई थी — आराम में उसकी महत्वाकांक्षा खो चुकी थी।

एक रात, उसने एक पॉडकास्ट सुना जिसने उसे अंदर तक हिला दिया। स्पीकर के शब्द थे, “दुनिया इरादों को नहीं, कर्मों को इनाम देती है।” ये शब्द उसके दिमाग में गूंजते रहे। उसे समझ में आ गया कि अगर उसे कुछ बदलना है, तो उसे कुछ करना होगा। उसने एक साहसी फैसला लिया — अलार्म को सुबह 5 बजे के लिए सेट कर दिया।

पहली सुबह बहुत कठिन थी। शरीर और दिमाग दोनों ही और नींद की मांग कर रहे थे। लेकिन उसने खुद को उठाया। गुस्से और थकान से भरा हुआ, उसने अपने जूते पहने और दौड़ने के लिए निकल पड़ा।

सड़कें खाली थीं, हवा ठंडी थी और पूरी दुनिया जैसे अभी सो रही थी। पहले कुछ मिनट भारी थे। उसके कदम लड़खड़ा रहे थे। लेकिन कुछ ही देर में, जैसे ही उसने दौड़ना शुरू किया, उसका मन साफ़ होने लगा। विचार बहने लगे। नई ऊर्जा महसूस होने लगी।

वो अगले दिन भी उठा। फिर अगले दिन। शुरुआत में ये संघर्ष जैसा था, लेकिन धीरे-धीरे ये उसकी दिनचर्या बन गई। और ये दिनचर्या उसकी ताकत बन गई।

सुबह उठने का यह फैसला सिर्फ जल्दी उठने का नहीं था। यह आराम को चुनौती देने का था। बहानों को छोड़कर मेहनत को अपनाने का था। उसने महसूस किया कि परिवर्तन का राज सिर्फ एक नई आदत में नहीं, बल्कि एक नए नज़रिये में था।

अब, एक साल बाद, सैम सिर्फ सफल नहीं था। वो खिल रहा था। उसकी सोच साफ़ थी, उसका आत्मविश्वास मजबूत था और उसकी मेहनत रंग ला रही थी। और ये सब सिर्फ उस एक साहसिक फैसले की वजह से हुआ — काम करना, सिर्फ सपने देखना नहीं।

म की कहानी सिर्फ उसकी नहीं है। यह उन सभी की कहानी है जो बदलाव चाहते हैं लेकिन कदम बढ़ाने से डरते हैं। अगर एक रात का फैसला उसकी जिंदगी बदल सकता है, तो सोचो तुम्हारा एक फैसला क्या कर सकता है?

तो सवाल यह नहीं है कि तुम बदलाव चाहते हो या नहीं। सवाल यह है कि तुम वो पहला कदम कब उठाओगे?


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